सिर मुंडवाने से शुरू हुई आग : इटावा कथावाचक केस में जाति छिपाने पर क्यों हुआ इतना बवाल?

क्या है इटावा कथावाचक केस?

उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के एक गांव में 21 जून 2025 को ऐसी घटना घटी जिसने देश भर में जातिवाद और धार्मिक स्वतंत्रता पर बड़ी बहस छेड़ दी।
मुकुट मणि सिंह यादव और संत सिंह यादव, दो कथावाचकों पर जाति छिपाने का आरोप लगाकर उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर मुंडवाकर अपमानित किया गया।

इटावा कथावाचक केस ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर दौड़ा दी, बल्कि राजनीतिक हलकों और मानवाधिकार संगठनों को भी झकझोर कर रख दिया।

घटना कैसे घटी – दिनांक 21 जून 2025

गांव दान्दरपुर (इटावा) में कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत सिंह यादव श्रीमद्भगवद कथा सुनाने पहुंचे थे।
कथा के दौरान कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि ये कथावाचक खुद को ब्राह्मण बताकर समाज को गुमराह कर रहे हैं, जबकि असल में इनकी जाति “यादव” है।

गांव के कुछ लोगों ने मिलकर कथावाचकों को ज़बरदस्ती पकड़कर सिर मुंडवा दिया और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। यह सब कैमरे में रिकॉर्ड हुआ और जल्द ही वायरल हो गया।

कानूनी कार्रवाई – 4 आरोपी गिरफ्तार

पुलिस ने तेज़ कार्रवाई करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार किया:

  • आशीष तिवारी (21)

  • उत्तम कुमार अवस्थी (19)

  • निक्की अवस्थी (30)

  • मनु दुबे (24)

इनके खिलाफ SC/ST एक्ट, IPC की धारा 295(A) (धार्मिक भावना भड़काना), और धारा 323, 504, 506 के तहत केस दर्ज हुआ है।

क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है?

कथावाचकों ने कहीं भी खुद को ब्राह्मण घोषित नहीं किया था — न तो कथा में, न आमंत्रण में।
फिर भी केवल नाम और पहनावे के आधार पर उनकी जाति पर सवाल उठाकर उनका अपमान किया गया।

कई सामाजिक संगठन इसे मजहब और जाति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं।

सत्यनारायण कथा में सूत जी का जिक्र: एक ऐतिहासिक पहलू

अगर आपने कभी सत्यनारायण कथा सुनी है, तो आपने अक्सर पंडित जी से यह शब्द सुने होंगे— “सूत उवाच”, यानी सूत जी ने कहा। दरअसल, यह वही कथा है जिसे पहले सूत जी ने सुनाया था।

सत्यनारायण कथा स्कंद पुराण के रेवा खंड में दर्ज है, और सूत जी ने ना केवल इस कथा को, बल्कि पूरा स्कंद पुराण भी सुनाया था। इसके अलावा, सूत जी ने 18 महापुराणों में से 10 पुराणों की भी कथा सुनाई। इसलिए आप कई पुराणों में शुरुआत ‘सूत उवाच’ से देख सकते हैं।

सूत जी के बारे में यह भी जानना जरूरी है कि वे एक जाति से संबंधित थे। सूत जाति प्राचीन जातिव्यवस्था के तहत वर्ण संकर जाति मानी जाती थी, यानी दो अलग-अलग जातियों के मेल से उत्पन्न हुई जाति।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं – अखिलेश यादव और अन्य दलों की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इटावा कथावाचक केस को “देश की समरसता पर चोट” बताया और पीड़ितों को ₹51,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।

इटावा कथावाचक केस
इटावा कथावाचक केस

“इटावा कथावाचक केस की घटना साबित करती है कि जाति आधारित भेदभाव आज भी समाज को तोड़ रहा है।”

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा ने कहा कि “कानून को अपना काम करने दिया जाए, किसी को धार्मिक या जातिगत उत्पीड़न का अधिकार नहीं।”

सोशल मीडिया पर हंगामा – #EtawahCase ट्रेंड में

इटावा कथावाचक केस में एक दिन में ही #EtawahCase और #CasteDiscrimination ट्रेंड करने लगे।

  • Instagram, X (Twitter) पर 1 लाख+ पोस्ट

  • कई प्रभावशाली लोगों ने वीडियो जारी कर घटना की निंदा की।

इटावा कथावाचक केस: जातिगत भेदभाव का गहरा सच

भारत में आज भी जाति के आधार पर भेदभाव एक गहरी सच्चाई है, जो हर क्षेत्र में किसी न किसी रूप में ज़िंदा है —
चाहे वो शिक्षा हो, रोज़गार हो या धार्मिक कार्य

इटावा कथावाचक केस एक उदाहरण है कि कैसे समाज में आज भी जाति को पहचान से ज़्यादा बड़ा बना दिया गया है।

अब आगे क्या?

यह मामला न सिर्फ इटावा या उत्तर प्रदेश तक सीमित है, बल्कि पूरे भारत में चर्चा का विषय बन गया है।
इस केस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत में समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर समाज को बहुत कुछ सीखना बाकी है।

👉 क्या यह एक isolated केस है या समाज में गहरे बैठी सोच की तस्वीर?


Discover more from HINDI NEWS BEAT

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Discover more from HINDI NEWS BEAT

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading