“Azamgarh से उठी चुनावी ललकार: CM Yogi बोले- अपराधियों की अब खैर नहीं!”
उत्तर प्रदेश के सियासी नक्शे पर आज़मगढ़ एक बार फिर सुर्खियों में है। ये वही ज़िला है जिसे कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब CM Yogi आदित्यनाथ लगातार अपने दौरों और रणनीतियों से यहां एक नई राजनीतिक पटकथा लिखने की कोशिश कर रहे हैं।
आज 9 जुलाई 2025 को हुए Azamgarh CM Yogi Visit ने उत्तर प्रदेश की सियासत को नया मोड़ दे दिया है। यह दौरा सिर्फ पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने पूर्वांचल की राजनीति में एक नई लहर पैदा कर दी है। मंच से दिए गए उनके हर शब्द ने यह संकेत दिया कि यह क्षेत्र अब यूपी की राजनीति का नया रणक्षेत्र बनने जा रहा है।
CM Yogi का सख्त संदेश:अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा
योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा, “बलरामपुर में एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया है, जो महिलाओं की गरिमा के साथ खेलता था। हम ऐसे तत्वों को बख्शने वाले नहीं हैं। हम राष्ट्रविरोधी और समाजविरोधी ताकतों का अंत करेंगे और धरती माता की रक्षा करेंगे।” यह बयान न केवल प्रशासनिक सख्ती को दर्शाता है बल्कि 2027 विधानसभा चुनावों से पहले की रणनीति की झलक भी देता है।
क्यों अहम है आज़मगढ़ दौरा?
सीएम योगी का आज का दौरा बीते 20 दिनों में दूसरी बार हुआ है। इससे पहले 20 जून को भी वह Azamgarh और अंबेडकरनगर की सीमा पर एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं। इस बार उन्होंने केरमा गांव में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत 12,000 पौधों का रोपण कर न सिर्फ पर्यावरण बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का संदेश भी दिया।
सिर्फ पौधारोपण नहीं, जनसंपर्क अभियान, जनसभाएं, और कानून व्यवस्था के मुद्दे उठाकर योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल की राजनीति में अपनी जड़ें और भी गहरी करना चाहते हैं। उनकी रणनीति साफ है — सिर्फ सरकार चलाना नहीं, जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाना।
Akhilesh vs Yogi: आज़मगढ़ बना सियासी रणभूमि
दिलचस्प बात यह है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी हाल ही में आजमगढ़ में अपने नए कैंप कार्यालय का उद्घाटन कर चुके हैं। यह सिर्फ एक कार्यालय नहीं बल्कि पूर्वांचल की सियासत में उनकी रणनीतिक वापसी का संकेत है। अखिलेश इसे सपा की परंपरागत सीट और पहचान मानते हैं और अब यहां से पूरे पूर्वांचल में पकड़ मज़बूत करने की तैयारी में हैं।
जहां अखिलेश यादव आज़मगढ़ को अपनी परंपरागत सीट मानते हैं, वहीं सीएम योगी इसे विकास और कानून व्यवस्था की नई पहचान बनाना चाहते हैं। दोनों नेताओं के लिए यह ज़िला सिर्फ एक इलाका नहीं बल्कि ‘सियासी अस्मिता’ का सवाल बन चुका है। एक तरफ अखिलेश ने यहां अपने कैंप कार्यालय की शुरुआत की है, वहीं दूसरी ओर योगी लगातार जनसभाओं और विकास कार्यों के ज़रिए मैदान में डटे हुए हैं।
पूर्वांचल के वो ज़िले जहाँ बीजेपी 2022 में पिछड़ी थी
2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। आजमगढ़ और अंबेडकरनगर में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, भदोही और चंदौली जैसे ज़िलों में भी पार्टी को सीमित कामयाबी ही मिली थी।
वे 9 जिले जहाँ सीएम योगी का फोकस अब साफ दिख रहा है:
- आजमगढ़ – सभी सीटों पर सपा की जीत
- अंबेडकरनगर – बीजेपी खाता भी नहीं खोल पाई
- मऊ – सिर्फ एक सीट बीजेपी को मिली
- गाजीपुर – ज़्यादातर सीटें सपा और गठबंधन के पास गईं
- जौनपुर – मिला-जुला परिणाम
- भदोही – कुछ सीटों पर बीजेपी को जीत
- चंदौली – आंशिक सफलता
- देवरिया – बीजेपी की पकड़ कमजोर रही
- बलिया – सपा ने कई सीटें जीतीं
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2027 चुनाव की तैयारी शुरू
सीएम योगी और भाजपा हाईकमान अब इन इलाकों में पकड़ मज़बूत करने के लिए रणनीतिक दौरे और जनसभाएं कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि अब पार्टी पूर्वांचल को हल्के में नहीं ले रही है। जनसभा में महिलाओं की सुरक्षा, राष्ट्रवाद और विकास पर ज़ोर देकर योगी आदित्यनाथ ने यह संदेश दिया कि अब की बार मुद्दा सिर्फ वोट नहीं बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का है।
निष्कर्ष
आज का योगी आदित्यनाथ का आज़मगढ़ दौरा न सिर्फ पौधारोपण कार्यक्रम तक सीमित रहा, बल्कि यह एक राजनीतिक संदेश बन गया। Akhilesh vs Yogi 2027 की यह टक्कर जितनी दिलचस्प है, उतनी ही निर्णायक भी। आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों में इसका असर ज़रूर देखने को मिलेगा। आने वाले चुनावों में यही ज़िले निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न मीडिया स्रोतों की जानकारी पर आधारित है और इसमें व्यक्त विचार किसी राजनीतिक दल विशेष का समर्थन या विरोध नहीं करते। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक जानकारी की पुष्टि आधिकारिक स्रोतों से अवश्य करें।
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1 thought on “CM Yogi Azamgarh Visit 2025: पूर्वांचल में नई राजनीतिक लहर का आगाज़”